कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥ भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ https://shivchalisas.com