न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं और (ऐ रसूल) उनके लिए बराबर है ख्वाह तुम उन्हें डराओ या https://ferdinandb814tck8.blogdemls.com/profile